ननिहाल
ननिहाल


बचपन की यादें खेलती थी जहाँ
सपनो का आंगन सजता था वहाँ
तारों की बीच खूबसूरत दुनिया थी मेरी
वो ननिहाल था जहा प्यारी नानी थी मेरी...!!!
गर्मी की छुट्टियाँ गुजरती थी जहाँ
आम की गुठलियां गिनते थे वहा
मीठे मीठे बेरों का लेते थे मजा
शोर मचाने पर नाना देते थे सजा...!!!
खेतों की हरियाली अच्छी लगती थी
दोस्तों की यारी सच्ची लगती थी
खूब खाना मजे करना यही दिनक्रम चलता था
मामा-मामी का प्यार दुलार सब अच्छा लगता था...!!!
खट्टी मीठी इमली तो मन को भाती थी
मिटटी की सोंधी खुशबू सबको लुभाती थी
गय्या का दूध पीकर हम तंदुरुस्त होते थे
दिनभर खेल कूद के रात मे सुस्त होते थे...!!!
कितना प्यारा सबसे निराला ननिहाल था मेरा
खुशियों के साथ, बीतता था बचपन सारा
खुश किस्मत हूँ जो मिला ननिहाल प्यारा
स्वर्ग से भी सुंदर था ये महल हमारा...!!!