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Mukesh Kumar Modi

Abstract Inspirational

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Mukesh Kumar Modi

Abstract Inspirational

अगर तुम लौटकर आओगे

अगर तुम लौटकर आओगे

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अपनों को ही खोकर तुम, बोलो क्या कमाओगे

कांटो भरी तन्हाई से तुम, खुद को घिरा पाओगे


खुशी से नहीं गुज़ार पाओगे, ज़िन्दगी को तुम

अगर शिकायतों में वक्त, बर्बाद करते जाओगे


इशारे तुझे बहुत करेंगे, आने वाले सभी हालात

ज़मीर से गिरे अगर, तो संभल कभी ना पाओगे


अपनों के लिए अगर, दिल दरवाजे करोगे बन्द

सबकी नजरों से तुम, केवल नफरत ही पाओगे 


खुशियां बिखर जाएगी, तिनका तिनका होकर

कोशिश करके भी तुम उन्हें, समेट नहीं पाओगे


देर हुई है जरूर लेकिन, इतनी भी देर नहीं हुई

ग़म दूर चले जाएंगे अगर, तुम लौटकर आओगे!


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