ना शतरंज का खेल खत्म होता है ना ही इंसानों की जिंदगी खत्म होती है ना शतरंज का खेल खत्म होता है ना ही इंसानों की जिंदगी खत्म होती है
उनकी आवाज बनो अगर जमीर जिन्दा हो तो ! उनकी आवाज बनो अगर जमीर जिन्दा हो तो !
नक़ाब बदलता रहा करके गुनाह मैं, आदत अपनी रही थी औरो पे कसने की। नक़ाब बदलता रहा करके गुनाह मैं, आदत अपनी रही थी औरो पे कसने की।
किताबों की बातें अच्छी तो थी बहुत मगर, दुनिया वालों का कुछ और ही इरादा था। किताबों की बातें अच्छी तो थी बहुत मगर, दुनिया वालों का कुछ और ही इरादा था।
खुशियाँ दूसरे पलड़े में मैं अपनी जान रखता हूँ किसी से क्या उस रब से भी कुछ नहीं म... खुशियाँ दूसरे पलड़े में मैं अपनी जान रखता हूँ किसी से क्या उस रब ...