खुद से दोस्ती
खुद से दोस्ती


दोस्ती तू साखी खुद से कर ले
अपने को तू तीसमारखां कर ले
आईने से ज़रा तू बाहर निकल,
अक्स को तू ज़रा सा पकड़ ले
इतना ज़माने से तू हैरान न हो
इतना अपनों से तू निराश न हो
थोड़ा वक्त तू खुद ही बदल लें
आंसुओं से तू प्यास पूरी कर ले
दोस्ती तू साखी खुद से कर ले
चिंगारी को तू शोला कर ले
अपनी भीतर की रोशनी से
खुद की तू तहक़ीक़ात कर ले
इस बेपरवाह ज़माने में,
तू खुद, ख़ुद का फ़ैसला कर ले
दोस्ती तू साखी खुद से कर ले
अपनी परछाई को तू संग कर ले
सब लोग मारेंगे तुझे पत्थर
तेरा साया न करेगा तुझे बेघर
अपने साये में तू रंग भर ले
पत्थर मारने वाले इस जग में,
खुद को तू साखी फ़लक कर ले
दोस्ती तू साखी खुद से कर ले
जब सब तेरा साथ छोड़ जाएंगे
कोई भी न तेरा दुःख घटाएंगे
तब भीतरी दोस्त काम आएगा,
अपने दोस्त को तू पकड़ ले
सजेगी तेरी हर जगह महफ़िल,
शूल को फूल के संग कर ले
दोस्ती तू साखी खुद से कर ले