नहीं समझे
नहीं समझे


तुम नहीं समझे,
एहसास की गहराई को।
तुम नहीं समझे,
प्रेम की परछाई को।
खोजते रहे,
दीवारों पर लगी तस्वीरों में,
आशीर्वाद का असर।
जिंदा इंसान भी,
दुआ मांगता है।
तुम नहीं समझे,
उम्मीदों का तन्हा सफर।
नहीं कर पाए।
तुम सम्मान मेरा।
गुजर गया।
जिंदगी का तन्हा सफर।
तुमसे उम्मीदों का,
बोझ उतार चले हैं।
चल पड़े हम तो अब,
अपने साथ,
एक अपने ही सफर।
अपने ही राह चले हैं।