चंद शेर
चंद शेर


ये जो दिलों के बीच पुल बना हुआ है
स्वार्थ की मोटी परत से सना हुआ है।
लालच मोह माया भी वाजिब है इधर
इंसान ही इंसान के लिए बना हुआ है।
उसने कब कोई आस रखी होगी तुमसे
बड़ी तकल्लुफ से जिसने जना हुआ है।
एक कमजोर को रोंदकर जीत गए वो
और एक गुरूर से सीना तना हुआ है।
सामने तो हैं पर लोग दिखाई नहीं देते
तनहाई का कुहरा बहुत घना हुआ है।
दरिया दिली तो बहुत दिखा रहे हैं यारों
पर अपने स्वार्थ से दिल छना हुआ है।
रोज नए मसले जहर उगलते 'सिंधवाल'
हर डिबेट में अपना मुद्दा ठना हुआ है।