समर्पित हुई हैं दो आत्मायें
समर्पित हुई हैं दो आत्मायें
समर्पित हुई हैं दो आत्मायें ,घुलने लगी हैं फिज़ा में हवायें ,
सहवास उनका पूरा हो चला है ,चारों तरफ हैं सुकूँ की सदायें।
एक बेचैनी से दिल जल रहा था ,कुछ पाने को कब से तड़प रहा था ,
दोनो की चाहत करीब और लायें ,चारों तरफ हैं सुकूँ की सदायें।
जब तक समर्पण पूरा ना था ,प्रेम भी जैसे खोया हुआ था ,
जीती है बाजी खुद को देके बलायें ,चारों तरफ हैं सुकूँ की सदायें।
प्रेम में पागल होना पड़ेगा ,बिना समर्पण वो कैसे जीयेगा ?
घुलना - मिलना भी होती दवायें ,चारों तरफ हैं सुकूँ की सदायें।
सहवास दिलों की प्यास बुझाता ,तपते बदन को राहत दिलाता ,
चलो अपने प्रेम के अब किस्से सुनायें ,चारों तरफ हैं सुकूँ की सदायें।
समर्पण ही पृथ्वी , समर्पण ही आकाश ,समर्पण से ही पूरा होता सहवास ,
समर्पण करके प्रेम को अपना बनायें ,चारों तरफ हैं सुकूँ की सदायें।
समर्पित हुई हैं दो आत्मायें ,घुलने लगी हैं फिज़ा में हवायें ,
सहवास उनका पूरा हो चला है ,चारों तरफ हैं सुकूँ की सदायें।|

