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Praveen Gola

Romance

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Praveen Gola

Romance

समर्पित हुई हैं दो आत्मायें

समर्पित हुई हैं दो आत्मायें

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समर्पित हुई हैं दो आत्मायें ,घुलने लगी हैं फिज़ा में हवायें ,

सहवास उनका पूरा हो चला है ,चारों तरफ हैं सुकूँ की सदायें।

एक बेचैनी से दिल जल रहा था ,कुछ पाने को कब से तड़प रहा था ,

दोनो की चाहत करीब और लायें ,चारों तरफ हैं सुकूँ की सदायें।

जब तक समर्पण पूरा ना था ,प्रेम भी जैसे खोया हुआ था ,

जीती है बाजी खुद को देके बलायें ,चारों तरफ हैं सुकूँ की सदायें।

प्रेम में पागल होना पड़ेगा ,बिना समर्पण वो कैसे जीयेगा ?

घुलना - मिलना भी होती दवायें ,चारों तरफ हैं सुकूँ की सदायें।

सहवास दिलों की प्यास बुझाता ,तपते बदन को राहत दिलाता ,

चलो अपने प्रेम के अब किस्से सुनायें ,चारों तरफ हैं सुकूँ की सदायें।

समर्पण ही पृथ्वी , समर्पण ही आकाश ,समर्पण से ही पूरा होता सहवास ,

समर्पण करके प्रेम को अपना बनायें ,चारों तरफ हैं सुकूँ की सदायें।

समर्पित हुई हैं दो आत्मायें ,घुलने लगी हैं फिज़ा में हवायें ,

सहवास उनका पूरा हो चला है ,चारों तरफ हैं सुकूँ की सदायें।|


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