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Praveen Gola

Romance

4  

Praveen Gola

Romance

समर्पित हुई हैं दो आत्मायें

समर्पित हुई हैं दो आत्मायें

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समर्पित हुई हैं दो आत्मायें ,
घुलने लगी हैं फिज़ा में हवायें ,
सहवास उनका पूरा हो चला है ,
चारों तरफ हैं सुकूँ की सदायें |

एक बेचैनी से दिल जल रहा था ,
कुछ पाने को कब से तड़प रहा था ,
दोनो की चाहत करीब और लायें ,
चारों तरफ हैं सुकूँ की सदायें |

जब तक समर्पण पूरा ना था ,
प्रेम भी जैसे खोया हुआ था ,
जीती है बाजी खुद को देके बलायें ,
चारों तरफ हैं सुकूँ की सदायें |

प्रेम में पागल होना पड़ेगा ,
बिना समर्पण वो कैसे जीयेगा ?
घुलना - मिलना भी होती दवायें ,
चारों तरफ हैं सुकूँ की सदायें |

सहवास दिलों की प्यास बुझाता ,
तपते बदन को राहत दिलाता ,
चलो अपने प्रेम के अब किस्से सुनायें ,
चारों तरफ हैं सुकूँ की सदायें |

समर्पण ही पृथ्वी , समर्पण ही आकाश ,
समर्पण से ही पूरा होता सहवास ,
समर्पण करके प्रेम को अपना बनायें ,
चारों तरफ हैं सुकूँ की सदायें |

समर्पित हुई हैं दो आत्मायें ,
घुलने लगी हैं फिज़ा में हवायें ,
सहवास उनका पूरा हो चला है ,
चारों तरफ हैं सुकूँ की सदायें ||





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