तेरा तोहफ़ा
तेरा तोहफ़ा
मेरी तनहाइयाँ अक्सर तुम्हारी बात करती हैं,
ये तोहफ़ा मुस्कुराकर प्यार का इज़हार करती हैं।
वो खिड़की पर जो तुमने प्यार की सौगात बाँधी थी,
उन्हें देखा था आँखों ने,मगर इंकार करती हैं।
ये मुमकिन है,ज़ुबां ना कह सकेंगी हाल-ए-दिल तुमसे,
मेरी नज़रें ही अपने हाल का इकरार करती हैं।
तसव्वुर में तेरा चेहरा है छाया,इस तरह दिलबर,
ये आँखें बंद होकर भी तेरा दीदार करती हैं।
दरीचा खोल कर रखते हैं,तेरी राह में अक्सर,
धड़कने सुन के हर आहट,हमें बेदार करती हैं।
हर एक दिन अब गुज़रता है,तुम्हारे इंतज़ार में,
तेरे एहसास की खुशबू,ये दिल गुलज़ार करती है।
नहीं चाहत है तोहफ़ों की,न सौगातों की ख़्वाहिश है,
मेरी हसरत,तेरी उलफत की दुआ,हर बार करती है।