या अपनी किस्मत पर रोऊँ कहो मातु मैं कैसे सोऊँ। या अपनी किस्मत पर रोऊँ कहो मातु मैं कैसे सोऊँ।
अक्षम नहीं सक्षम हो तुम, इस संसार का महकता उपवन हो तुम ।। अक्षम नहीं सक्षम हो तुम, इस संसार का महकता उपवन हो तुम ।।
विकलांग कहा कभी, कभी दिव्यांग कह दिया, विकलांग कहा कभी, कभी दिव्यांग कह दिया,
भगवान ने हम सब को बनाया, फिर क्यों अंतर इतना, भगवान ने हम सब को बनाया, फिर क्यों अंतर इतना,
दिव्यांग हुए तो क्या हुआ! अरमान किसी से कम तो नहीं।। दिव्यांग हुए तो क्या हुआ! अरमान किसी से कम तो नहीं।।
बच्चों के तो भाग खुले हैं, खिड़कियों पर क़ब्ज़ा जमाते, रेलगाड़ी को खेल गाड़ी बनाते, धमा-चौक... बच्चों के तो भाग खुले हैं, खिड़कियों पर क़ब्ज़ा जमाते, रेलगाड़ी को खेल गाड...