दिव्यांग : अक्षम नही सक्षम हो तुम
दिव्यांग : अक्षम नही सक्षम हो तुम
अक्षम नहीं सक्षम हो तुम,
इस संसार का महकता उपवन हो तुम ।।
हुआ क्या ,जो देख सकते नही ,अपनी आंखों से इस जहां को,
पर मन की आँखों से ,छू सकते हर मकां को ।।
छू ले आसमां अपने हौसले से ,
जीत ले समंदर भी वो दिव्य इन्सां हो तुम ।।
सुधाचन्द्रन बनकर नृत्य सजा डाला ,
अरुणिमा बन एवरेस्ट नाप डाला ।
रविंदर जैन ने गान मधुर कर डाला ,
हॉकिन्स ने आसमान बदल डाला ।।
दिव्यांग थे भले ही , पर हौसले की कमी नही ।
शरीर ने साथ नही दिया , पर मंज़िल से निगाह हटी नहीं।।
चलोगे , बेशक लड़खड़ाओगे ,
गिरोगे ,उठोगे, सम्भल भी जाओगे ।
करके बुलन्द हौसला इक दिन ,आसमान भी छू जाओगे ।
ईश्वर का ऐसा पैगाम हो तुम ,
अक्षम नही सक्षम हो तुम,
इस संसार का महकता हुआ उपवन हो तुम ।