रोशनी की प्यास है हूँ भले विकलांग मैं पर, दृढ़ हृदय में आस है ! रोशनी की प्यास है हूँ भले विकलांग मैं पर, दृढ़ हृदय में आस है !
मन से अपने पैरों में खड़ा होना चाहती हूँ! मन से अपने पैरों में खड़ा होना चाहती हूँ!
आयेगा ,अवश्य आयेगा वह नया विहान , जब नए सिरे से होगी इन्सान की पहचान। आयेगा ,अवश्य आयेगा वह नया विहान , जब नए सिरे से होगी इन्सान की पहचान।
अँखियों के न होने पर , लाठी सहारा बन जाती है, कानों की आवाज़ न । अँखियों के न होने पर , लाठी सहारा बन जाती है, कानों ...
विकलांग कहा कभी, कभी दिव्यांग कह दिया, विकलांग कहा कभी, कभी दिव्यांग कह दिया,
नहीं अपराध मेरा,नहीं अपराध तेरा हादसे घटित हुई किसका दोष। नहीं अपराध मेरा,नहीं अपराध तेरा हादसे घटित हुई किसका दोष।