STORYMIRROR

Ruchika Rai

Inspirational

4  

Ruchika Rai

Inspirational

विकलांग हूँ पर आम हूँ

विकलांग हूँ पर आम हूँ

1 min
587

नहीं अपराध मेरा,नहीं अपराध तेरा

हादसे घटित हुई किसका दोष,

बीमारियों का गहरा प्रभाव,

नही चला विज्ञान का जोर।

अंग बन गए दिव्य,

कर्म पथ को किये अवरुद्ध

बताओ चलूँ कैसे

होगा कौन सहारा?

विश्वास की बैसाखी,

आत्मबल का है सहारा,

बुद्धिलब्धि को तीक्ष्ण करके

रखा कदम जीवन समर में

पाई सफलता,मिली पहचान,

बनाया एक अपना विशिष्ट स्थान।

फिर भी तीक्ष्ण व्यंग्य बाण,

उपेक्षित दृष्टि

हास परिहास,

सांत्वना के बोल देकर ,खुद की अहम तुष्टि

बताओ दोष किसका

क्यों यह बनी विचारधारा?

विशेष प्रकार का नामकरण,

प्रथम परिचय,

और बस एक ही प्रश्न

हुआ क्यों ,कैसे ,कैसे चलता यह जीवन,

सहानुभूति के शब्दों से जताकर अपनापन,

दर्द को करते तीव्र

दोष किसका,

विधाता ने लिखी ऐसी किस्मत,

या मानव की यही फ़ितरत,

अनुत्तरित प्रश्न और ढूँढती उत्तर।

एक अभिलाषा मन में,

समझो सामान्य सा इंसान,

रहने दो मुख्य धारा में

नही बनना हमें खास।

अगर कर सको तो बस इतना करो

रखो सुविधाओं का ध्यान,

मगर मान कर एक सामान्य इंसान,

नही बनाओ मुझे बेबस और लाचार।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational