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Prafulla Kumar Tripathi

Inspirational

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Prafulla Kumar Tripathi

Inspirational

एक नई पहचान !

एक नई पहचान !

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क्या विकलांग नहीं हुआ करते इंसान ?

फिर क्यों लोग खाते हैं उन पर तरस ?

फेंकते हैं व्यंग्यों के बाण !

भगवान् कभी मत करो किसी को विकलांग।

क्योंकि ,ये जो तुमने बनाए हैं इन्सान ,

वे उनकी अपूर्णता पर हंसते हैं।

तरस खाकर उनकी उपेक्षा भी करते हैं ,

और तब वे अपने दर्द ,

व्यथा का ग्राफ चढ़ा पाते हैं।

इनकी विकलांगता बन जाती है अभिशाप ,

शारीरिक पूर्णता ही अक्सर होती है व्यक्तित्व की छाप।


लेकिन यदि वे एक आधा अधूरा इन्सान हैं ,

तो वह ढेर सारा तबका किनका है ,

जो हैं मन ,विचार और कर्म से विकलांग ?

फिर भी समझते हैं अपने को सर्वांग !

आयेगा ,अवश्य आयेगा वह नया विहान ,

जब नए सिरे से होगी इन्सान की पहचान।

बदलेंगी परिभाषाएं मनुष्य के मूल्याकन की ,

विकलांगता किसी की प्रगति में नहीं होगी बाधक ,

विकलांग भी माने जायेंगे सफलता के साधक !

लोग उन्हें नहीं मानेंगे एक आधा अधूरा इंसान ,

विकलांगता , सिर्फ विकलांगता ,

नहीं बनने पायेगी उनकी पहचान।।

खुलेंगे उनके लिए भी नए आयाम ,

प्रतीक्षा है जल्दी आना नए विहान !!



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