विकलांग का दर्द
विकलांग का दर्द
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मैं आम इंसानो की तरह
अपने पैरो पर
नहीं चल सकती
फिर भी मैं तन से
नहीं
मन से
अपने पैरों में खड़ा होना
चाहती हूँ
मैं किसी पे बोझ
ही बनना चाहती
अपना बोझ
खुद उठाना चाहती हूँ
माना किस्मत ने
मुझें पैर नहीं
दिये
फिर भी अपनी
किस्मत खुद लिखना चाहती हूँ
और लोगो को
दिखाना चाहती हूँ!