बसंत
बसंत
आ गया है
बसंत
आम में बौर आ गई है
खेतों में फसल लहलहा रही है
चारों और फूल खिल गये है
उपवन निखर गये है
हवा का शोर
है चारों और
न जाने क्यों ऐसा लगता है
की कानों में कुछ कह रही है
जिंदगी में न जाने क्यों
सब कुछ बेहतर से
बेहतरीन हो रहा है
बसंत के आने से
कोयल भी कुहू कुहू कर रही है
जिंदगी को मधुर बना रही है।