सर के साथ खड़ी हो जाये, तो और निखर वो जाती है। सर के साथ खड़ी हो जाये, तो और निखर वो जाती है।
बाहरी सुंदरता अस्थिर है, बाहरी सुंदरता अस्थिर है,
हर शब्द निखर उठे प्रतिबद्ध शुद्ध होकर , हर शब्द निखर उठे प्रतिबद्ध शुद्ध होकर ,
आँखों की तेरी झील में जो हम उतर गये । कितने ही ख्वाब आज सजे औ निखर गये।। आँखों की तेरी झील में जो हम उतर गये । कितने ही ख्वाब आज सजे औ निखर गये।।
दुर्दिन आज बढ़ रहे हैं सज्जन तप कर रहे हैं। दुर्दिन आज बढ़ रहे हैं सज्जन तप कर रहे हैं।
हवाओं में भी इश्क़ मिलने लगाता है। तब कर, महसूस तुम्हें निखर जाते है। हवाओं में भी इश्क़ मिलने लगाता है। तब कर, महसूस तुम्हें निखर जाते है।