STORYMIRROR

Pushp Lata Sharma

Inspirational

2.6  

Pushp Lata Sharma

Inspirational

हूँ भले विकलांग मैं पर, दृढ़ हृदय में आस है

हूँ भले विकलांग मैं पर, दृढ़ हृदय में आस है

1 min
308


"हूँ भले विकलांग मैं पर, दृढ़ हृदय में आस है।

हूँ भले विकलांग मैं पर, दृढ़ हृदय में आस हैतोड़ लूँगी चाँद तारे, ये मुझे विश्वास है।

क्या हुआ कमजोर मुझको ,गर समझते लोग हैंव्यंग करते वे हमेशा, देख मेरा रोग हैंचल नहीं सकती कभी पर, हौसला तो पास है  हूँ भले विकलांग मैं पर, दृढ़ हृदय में आस है !

भाग्य ने सबको दिया है, गम कभी खुशियाँ कभीकब मिली है मन मुताबिक , साथियों दुनियाँ कभीजिन्दगी तो भिन्न रंगो , से रँगा कनवास है हूँ भले विकलांग मैं पर, दृढ़ हृदय में आस है !

हर विषमता से परे नव राह गढ़ना है मुझे कल्पनाओं के सभी सोपान चढ़ना है मुझे भूल कर अवसाद करना , कुछ मुझे तो खास हैहूँ भले विकलांग मैं पर, दृढ़ हृदय में आस है !

तन नहीं मन में समायी , हर किसी के प्रीत हैइस जमाने को दिखाना, सोच से ही जीत हैपर कतरने से भला कब, छूटता आकाश हैहूँ भले विकलांग मैं पर, दृढ़ हृदय में आस है !

जिन्दगी जीती हमेशा , मुस्कुराने के लिए रोज गिरती और उठती,लक्ष्य पाने  के लिए दीप बनकर जल रही हूँ, रोशनी की प्यास है हूँ भले विकलांग मैं पर, दृढ़ हृदय में आस है !


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational