हाय पैसा
हाय पैसा
माना पैसा है बहुत कुछ
पर, पैसा न मनमीत
कर्म पैसे से अनमोल है प्यारे
उससे दुनियाँ जीत।।
जानें कितने कष्ट भोगते
ये, सकून भी लेता छीन
शत्रु बनते अपने पराए
उड़े, सुख, चैन और नींद।।
चतुर, चालाक सदा नाम कमाते
परिश्रमी रहते गमगीन
छल का शिकार होते अच्छे लोग ही
धूर्त, फरेबी न रहे धनहीन।।
किसके लिए तू जीता बंधु
क्या, रिश्तों की तेरे नींव
काया, माया, सुंदर छाया
बस आकर्षण की चीज।।
पैसा रखो बुद्धि में
और दिल में रहे सदा प्रीत
ईश्वर कृपा साथ रहेगी
जो, धीरज रखना सीख।।