परिवार
परिवार
तन समर्पित_मन समर्पित_जीवन समर्पित,
अपने परिवार के लिए स्वयं का सुख अर्पित।
अच्छे संस्कार से परिवार में खुशी है आती,
समाज में फिर सबको बहुत ही है सुहाती।
बड़ा मज़ा आता है जब किसी गुलशन में,
रंग_बिरंग फूल एक साथ रहते हैं लहराते।
वैसे ही परिवार भी अपना फूलों का बगिया,
सारे सदस्य हैं रंग_बिरंग सुरभित सा फूल।
कर्म की आग को जलाए वीर है बढ़ता,
अपने मंजिल के लिए आसमान पर चढ़ता,
दकियानूसी में कभी भी नहीं है फंसता,
अपनों के लिए सदा ही वह वीर है मरता।
संस्कार की सजाई पोशाक को पहनकर हमें,
सद्गुणों को अपनाकर कल्याणकारी कार्य कर,
अपने आप का भलाई खुद से करना चाहिए अवश्य,
और इस जीवन को चरितार्थ करना चाहिए निश्चित।
समय का सदुपयोग करते हुए हमें आगे बढ़ना चाहिए,
प्रेम से अनमोल जीवन को सौरभ मय करना चाहिए,
चमक अपना फैलाकर चमकना ही चाहिए जग में,
मरकर भी हर दिल पर अपना नाम अंकित करना चाहिए।
सोच का दायरा सर्वदा ही हमें बड़ा रखना चाहिए,
परिवार से निकलकर समाज देश के लिए आना चाहिए,
अधिक से अधिक हमें भलाई करते रहना चाहिए,
अपने आत्मा को परमात्मा से मिलाना चाहिए।