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Pooja Srivastav

Inspirational

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Pooja Srivastav

Inspirational

"प्राकृतिक दोस्त"

"प्राकृतिक दोस्त"

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बातें करने के लिए;

अपने मन के भाव व्यक्त करने के लिए;

किसी शख्स का होना जरूरी तो नहीं,

मैने तो अक्सर पेड़ पौधों से बाते की हैं।

कभी फूलों के साथ मुस्कुराया तो ;

कभी उनकी खुशबू में सुधबुध गवाया।

कभी हसीन फिज़ाओं में गुनगुनाया तो;

कभी रिमझिम बारिश में झूम के नाचा मेरा मन।

कभी तितलियों के पीछे भागी, तो;

कभी गिलहरी की उछल-कूद देख ;

खुश हो गया मेरा मन।

कभी उगते हुए सूरज को निहारा तो;

कभी चांद से हाल ए दिल बयां किया।

कभी बालकनी में बैठे पक्षियों से की गुफ्तगू;

तो कभी गौ माता को सहला के उनका हाल पूछा।

हां, दिया है जवाब पशु पक्षियों ने भी सिर हिला के ।

रोज़ मेरी रसोई की खिड़की पे आके

जब कबूतर और गौरैया बुलाते हैं मुझे ,

बड़ा आनंद आता है ;

उनको खाना देके उनसे बातें करके।

शुक्रिया है इन सब खास प्राकृतिक दोस्तों का

जिन्होंने बचपन से अभी तक दिया है साथ ।

आभार है उस अद्भुत शक्ति का जिसने दिया,

यह समय, यह अमूल्य जीवन, यह खास दोस्त।



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