माँ का नेटवर्क
माँ का नेटवर्क
सुबह ..कोयल की कूक में,
ठंडी हवाओं में,
फूलों की खुशबू में,
गरम चाय की चुस्की में..
माँ तेरी याद आती है .
सुबह शाम मंदिर में पूजा करते समय,
माँ... तेरी मूरत नज़र आती है...
खाना बनाते वक़्त तेरी हर नसीहत याद आती है...
बच्चो को पढा़ते वक़्त तेरी हर बातें
और डाँट याद आती है....
बच्चो के संग खेलते समय याद आता है....
तेरा प्यार और दुलार
ना जाने कैसे तुझको मेरी हर बात पता चल जाती है...
मैं अगर दर्द में हूँ,
तुझको मेरे दर्द का एहसास हो जाता है...
ना जाने कैसे तुझे हर बात पता चल जाती है.
रात तक अगर तुझसे बात नहीं होती..
मन बेचैन सा होता है..
तब तक तेरे फोन की घंटी बज जाती है,
और फोन उठाते ही ...
उधर से अवाज़ आती है..
"बेटा तुम ठीक हो ना... सुबह से हाल नहीं मिला ...
मन बेचैन हो रहा था".
अजीब सी बात है ना
इधर मेरा मन भी बेचैन उधर माँ का भी...
गजब का है ये .....नेटवर्क माँ का..
मैं जहाँ भी रहूँ, तेरे दिल में हूँ ....माँ
तू जहाँ भी रहे, मेरे दिल में है ....माँ