किताबें, हमारी सच्ची साथी
किताबें, हमारी सच्ची साथी
किताबों पे बिखरे ये अक्षर मुझे मुझसे मिलाते हैं।
अक्सर यही मेरा साथ निभाते हैं।
जब कोई नहीं होता मेरी बातों को समझने वाला,
तब यही मुझसे दोस्ती निभाते हैं।
अक्सर भीड़ में भी जब एकांत महसूस करती हूं,
तब यही अक्षर मेरे साथ सभी रिश्ते निभाते हैं।
हां यही सच्चे साथी हैं मेरे।
जो न कभी रूठते हैं, न दूर जाते हैं।
न इनको मनाना पड़ता है, न बुलाना।
बस जैसे ही याद करो, इनको अपने सबसे पास पाती हूं।
किताबों पे बिखरे ये अक्षर मुझे मुझसे मिलाते हैं
अक्सर यही मेरा साथ निभाते हैं।