"सुपर पावर"
"सुपर पावर"
हाय! क्या टापिक है
सुनते ही दिमाग में
कुछ अलग सा स्ट्रक हुआ।
सुपर पावर तो हम गृहणियों में भी है।
सुबह से शाम तक और
दोपहर से रात तक।
लगी ही रहती हैं काम धंधे में
झाड़ू पोछा बर्तन से लेकर किचन में
सब की फरमाइश को पूरा करती हुई।
सुबह भागदौड़ करके
सबके टिफिन पैक करके
जल्दबाजी में अपना टिफिन
भूल जाती है कार्यस्थल पर
लंचटाइम में जब याद आती है
तब कई बार उल्टा सीधा खाकर
दिन गुजार देती हैं।
और फिर शाम को वापस आकर
फिर से अपनी दिनचर्या
(किचन) में जुट जाती है।
बच्चों की फरमाइशें हों या
पति की शिकायतें
ऑफिसर की हुक्मरानी हो या
किसी संगीसाथी का उलाहना
सब हंसते-हंसते हजम कर जाती है।
जब भी आते हैं तीज त्यौहार
या फ़िर शादी विवाह
बाकी सब कामों के साथ
उनकी तैयारियों में भी जुट जाती है।
सभी की पसंद के बनाना पकवान
घर को सजाना सँवारना और
फिर अन्त में खुद भी
जँचकर खड़े हो जाना..
सुपर पावर की ही तो निशानी है।
मन में ढेरों सवाल
बदन पर उम्र का प्रभाव
सबको धता बताती है
अपने कर्म क्षेत्र में आगे बढ़ जाती है।
कभी कहलाती थी जो कमजोर
निस्सहाय अबला सुकुमारी
आज दुनिया में "सुपर पावर" के
नाम से नवाजी जाती है।।