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Meena Mallavarapu

Inspirational

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Meena Mallavarapu

Inspirational

ख़ुशी

ख़ुशी

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ख़ुशी है चचंल, चुलबुली ,मदमस्त

ख़ूबसूरत इतनी कि चाहे हर कोई

उसका ही साथ हमेशा , हर वक्त -

उसकी मुस्कान ,उस का लावण्य

कर देता है हर चाहने वाले को पस्त

जान कर भी बन जाते हम अनजान

कि खुशी न बनी किसी की कभी

न रखा उसने कभी किसी का मान

हो कर न रह पाई कभी किसी की-

मानने को तैयार ,मगर उसका हर फ़रमान

छिड़कें  हम सभी उसी पर जान-

शोख है ,चंचल है,मनचली है -

आज यहां तो कल वहां ,टिकती कहां

नाज़ नखरों की पली है

रखती खुद को सबके दुखड़ों से अनजान


कहीं भी रुकना कहां उसकी फ़ितरत

फूल सी नाज़ुक, शोखियां बेशुमार

बैठा हर कोई इस की राह तकत-

कब चल देगी कर के तार तार

हमारे दिल को ,कर देगी हमें विरक्त

इस दुनिया से..

मगर है खुशी का खुमार

चढ़ा हुआ हम सब पर ऐसा ,

भूल गये कि खुशी बाहर नहीं हमार

वह तो दे जाती है चकमा

उन सब को , मानना चाहें न जो हार

कस्तूरी का मृग वह , ढ़ूढें उस खुशी को

यहां वहां ,कहां कहां

जब छोड़ कर ही नहीं गई किसी को..

है छुपी हमारे अन्दर

समझती है हमारी बेबसी को

मगर करती है वह भी इन्तज़ार

कब पहचानेंगे हम उस

कब कर पाएंगे उस की कद्र

कब सीखेंगे जीवन का सार

कब बनेंगे खुशी के हक़दार।

       



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