यादगार लम्हें जिंदगी के
यादगार लम्हें जिंदगी के
आज डा०नीतू को थकान सी महसूस हो रही थी। उन्होंने जूस पिया और थोड़ी देर धूप में बैठकर अखबार देखने लगी। ड्यूटी जाने का मन नहीं हो था। लेकिन आज ड्यूटी ओपीडी में थी। तो आ गयीं।स्टाफ नर्स ने उन्हें चाय का कप थमाया ही था कि तभी उन्हें गेट पर कुछ शोर गुल सुनाई पड़ा। पुलिस वैन घायलों को लेकर पहुंची थी। चारों तरफ अफरातफरी मची हुई थी। शहर के एक बड़े मॉल में बम धमाका होने से तेरह लोगों की मौके पर ही मौत हो गई थी । और कई लोग घायल हो गए थे।सभी को उचित इलाज मुहैया करवाने के बाद। जब डा०नीतू शाम को घर पहुंची तो उन्होंने जैसे ही टीवी चलाया तो उसमें भी वही खबरें चल रही थी।और बताया जा रहा था। धमाके के जिम्मेदार अपराधियों के तार किसी आतंकी संगठन से जुड़े हैं। पुलिस की मुठभेड़ में तीन आतंकवादी मारे जा चुके हैं। लेकिन इस कार्रवाई में एस पी अरुण भी गंभीर रूप से घायल हो गये। अरुण नाम सुनकर वह थोड़ी चौंकी जरुर लेकिन फिर सोचा न जाने कौन होगा। अगले दिन जब डा०नीतू राउंड पर थी, तो वार्ड बॉय भागता हुआ आया और बोला, डा० वार्ड न० 20 के मरीज की स्थिति ज्यादा खराब हो रही है। पहले उन्हें देख लीजिए। डाक्टर नीतू ने उन्हें तुरंत आईसीयू में सिफ्ट करने को कहा और उनकी फ़ाइल देखने लगी। पेशेन्ट के सिर पर गंभीर चोटें आयी थी।और एक गोली पैर में लगी थीं। वे बेहोशी की हालत में थे। जैसे ही उन्होंने पेशेन्ट का नाम पढ़ा अरुण शुक्ला। वे तेजी से आगे बढ़ी। पेशेन्ट का चेहरा देखा तो सन्न रह गयी। जोर से बोली अरुण..अरुण। लेकिन अरुण की हालत काफी चिंता जनक थी।
उन्हें ऑपरेशन थियेटर में ले जाया गया।डा०नीतू ने उन्हें बचाने में जी जान लगा दी।रात भर वो डाक्टरों के पैनल से बात करती रही। आज उसका अरुण उसे मिला भी तो इस हाल में। उसकी आंखों से लगातार आंसू बह रहे थे। उसने अपने आप को संभालने की पूरी कोशिश की । पर आज उसके हाथ कांप रहे थे।अरुण को देखते ही वह कमजोर पड़ने लगी थी। लेकिन मन मजबूत कर वह ऑपरेशन में जुट गई और ऑपरेशन सफल रहा। वह वहीं बैठ कर अरुण के होश में आने का इंतजार करने लगी।...नौ साल पहले की ही बात है। अरुण और नीतू एक ही कॉलेज में पढ़ते थे।और एक ही बस स्टॉप पर उतरते थे। पहले जान पहचान और फिर दोनों में प्यार हो गया।वे एक दूसरे पर जान छिड़कते थे। अरुण ने नीतू के पिता से उनकी बेटी से शादी करने की बात कही। लेकिन वे राजी नहीं हुए।क्योंकि अरुण के घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी।और नीतू एक बड़े बिजनेस मैन की बेटी थी। उन्होंने नीतू को मेडिकल की पढ़ाई के लिए बैंगलुरु भेज दिया । अरुण ने यूपीएससी की परीक्षा उत्तीर्ण की और A s p पद पर चयन हो गया। एक दिन अचानक अरुण के पिता बाथरूम में फिसले ।
और पैर की हड्डी टूट गई। काफी इलाज करवाया पर ठीक नहीं हुए। उन्होने बिस्तर पकड़ लिया। उनकी इच्छा थी, कि वे अपने जीते जी अरुण का रिश्ता कर दें।और फिर एक दिन उनके दोस्त की बेटी लतिका से आनन फानन में अरुण का विवाह हो गया। लेकिन दोनों के विचार नहीं मिले ।एक पूरब था तो दूसरा पश्चिम। फिर दोनों मे मनमुटाव बढ़ गया । और तीन साल बाद दोनों के रास्ते अलग हो गये । उनका तलाक हो गया। धीरे धीरे समय बीतता गया। नीतू के लिए बड़े बड़े घरानों से रिश्ते आये । लेकिन वह कुछ न कुछ बहाना बना कर टालती रही ।वह अभी तक अरुण को भुला नहीं पाई थी। लेकिन होनी को तो कुछ और ही मंजूर था। एक सड़क दुघर्टना में नीतू के पिता का भी स्वर्गवास हो गया। और मां को तो उसने तभी को दिया था, जब वह तेरह साल की थी। अब यहां उसका मन जरा भी नहीं लग रहा था। इसी बीच उसका ट्रांसफर श्रीनगर जम्मू हो गया ।
वह यादों में खोई थी।कि तभी अरुण को होश आ गया। उसकी खुशी का ठिकाना न रहा। लेकिन वह तुरंत उसके पास नहीं गयीं। क्यों कि दिमाग पर जोर पड़ने से उसकी जान को खतरा हो सकता था। तभी अरुण की मां भी अस्पताल पहुंच गई। जैसे ही उन्होंने डाक्टर नीतू को देखा तुरंत गले से लगा लिया।और फूट फूटकर रोने लगी। डाक्टर नीतू ने कहा चिंता की कोई बात नहीं। अब वह खतरे से बाहर है। मां ने नीतू से अरुण के जीवन के विषय सब कुछ बता दिया था। दोनों अरुण के कमरे में बैठे थे।नज़र पड़ते ही अरुण ने चौंकते हुए कहा नीतू तुम यहां?...,कैसे ? क्या तुम यहां... मां उसका इशारा समझ गयी थी। मां ने कहा हां बेटा आज नीतू ने ही तुम्हारी जान बचाई है। मैं हमेशा उसकी अहसानमंद रहूंगी । नीतू ने अरुण को ढांढस बंधाया कि आप जल्दी ही ठीक हो जाओगे उसने अरुण को ज्यादा बोलने से मना किया उसने अरुण को इंजेक्शन दिया , और बगल में बैठ गयी। मां ने अरुण का हाथ डाक्टर नीतू के हाथ में थमाते हुए कहा कि बेटा तुम दोनों एक दूसरे केलिए ही बने हो।शायद ईश्वर को भी यही मंजूर है। अरुण से शादी कर लो । अरुण का गला रुध रहा था। वह बोल नहीं पा रहा था। लेकिन दोनों एक दूसरे की भावनाओं को समझ रहे थे। अरुण और नीतू दोनों की आंखों से मानों आंसुओं का सैलाब उमड़ पड़ा हो।और दोनों हमेशा के लिए एक हो गये।

