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Neha Thakur

Abstract Romance Inspirational

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Neha Thakur

Abstract Romance Inspirational

मोहन की दीवानी

मोहन की दीवानी

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मोहे मोहन रंग तेरे; माया है तेरे रूप में,

हो जाते हर मानव तेरे रूप की इस माया में।


द्वापर युग में आया तू; खेल सारे दिखला तूने,

नन्हे नन्हे पांव से वृंदावन को महकाए तु।


तेरी वह प्यारी सी उंगली; मैया पकड़ घूम आए,

नंदलाल तुझे कांधे पर बैठाकर सारा जग दिखलाएं।


अपने उन्हें से पांव से चलकर गोकुल में खेल दिखाए तुम,

हर मैया यही है बोले मोहन सा कोई न दूजा।


घर घर के माखन को चुरा लाए,

शखाओं के संग बांट बांट कर खूब मजे से खाएं।


बड़े हुए तो खेल अनोखे; गोवर्धन उठलाएं,

उस नन्हे से उंगली में वह ताकत कहां से आए ना कोई जाने।


गोवर्धन उठला के गोकुल वासियों को बचलाएं,

खुश हुए गोकुल के वासी नाचे झूमे गाए।


खुशियां तेरे आने से गोकुल में ऐसे जाएं,

तू सबकी खुशी की वजह एसे तू बन जाए।


मोहन तेरी मोहिनी सूरत गोपियों को बड़ी है भाएं,

तेरी मुरली बाजे सब धुन में नाचे गाए।


खो डाले सब अपना होश; जब तू मुरली बजाए,

ऐसे नाचे गोपियां जैसे सब कुछ पाए वों।


वृंदावन के अनोखी कहानियां आज भी गूंजे कानों में,

हर मानव मुख गाए तेरी प्रेम कहानी को।


कृष्ण राधा नाम है मुख पर,

जब भी चाहो राधेश्याम।


वृंदावन में रास रचाए; गोपियों संग मिल कान्हा,

राधा रानी संग मिल तुमने जब को प्रेम सिखलाया।


गोकुल की गलियों में गूंजे राधा नाम हर जबान पर,

वृंदावन की कहानी अनोखी आज भी है हमारे कानों पर।


मोहन की प्रेम थी राधा; गाथा शुरू कृष्ण राधा का प्रेम,

मोहन की दीवानी मीरा गली-गली जाए गुन उनके।


मीरा गुनगुनाए ऐसे जैसे वह खो गई मोहन में,

सृष्टि दिखे उसे खाली सी अधूरी सी सिर्फ कृष्ण है उसके पूरे से।


राधा गुण गाए कृष्ण के,

शाम सवेरे जपे उन्हीं के नाम की माला।


त्याग दिया उसने राजभवन को,

श्री कृष्ण विन सब दिखे उसे अध

ूरा।


श्री कृष्ण आएं द्वापर में; प्रेम की बातें सीखला गए,

राधा रानी संग मिलकर प्रेम का सत्य सिखाएं।


प्रेम स्वार्थ में छिपा नहीं है,

वह तो अटूट और अनंत है।


प्रेम है जीवन प्रेम है गाथा हर किसी से प्रेम करो,

चाहे हो मानव चाहे हो प्राणी सबके अंदर प्रेम भरो।


हृदय में राधा; कृष्ण विराजे।

मीरा कृष्ण की गाथा गाती।


हो हम कृष्ण मगन सारे धुन भूल गए इस सृष्टि को,

ऐसे कृष्ण मुरली बजाए जैसे सुरताल किस नाचे।


श्री कृष्ण कह गए हैं प्रेम किया जाए निस्वार्थ भाव से

जिसमें स्वार्थ है वह प्रेम नहीं सिर्फ अपना स्वार्थ देखता है।


कृष्ण ने रुकमणी संग ब्याह रचाया,

हर सुख पायो रुक्मणी ने श्री कृष्ण संग जीवन बिताया।


कृष्ण रखे राधा को सबसे ऊपर,

क्योंकि राधा उनकी जीवन का आधा भाग।


अर्धऐश्वरी राधे कृष्ण विराजे,

ब्रम्हाड साजे प्रेमगाथा बाजे।


मोहिनी की दीवानी मीरा,

राधा कृष्ण संग विराजे।


पूजे पूरी सृष्टि राधा कृष्ण को स्मरण किए जो,

ना कभी कोई संकट साजे श्री कृष्ण पर

क्योंकि राधा बनी शमशीर की धार।


हर कष्ट सहेलिए राधे ने श्रीकृष्ण के,

जब राधा को कष्ट हुआ तब कृष्ण पर।


कान्हा की मोहन मुरलियां गूंजे हर युग युग में,

हर बालक चाहे कान्हा के जैसा बन।


कान्हा साजे कृष्ण विराजे,

मेरा हृदय उन्हीं के धुन में बाजे।


मेरी ही देखी वाणी है।

मीरा प्रेम दीवानी है।


प्रेम है सृष्टि प्रेम ब्रह्मांड,

कृष्ण विराजे कंकण में।


आकाश में प्रेम मोहन के जल में भी है वह थलके।

कण कण में है कृष्ण विराजे गलियों में भी आज वह स्वर बाजे।


मोहन की मैं दीवानी झूमि ऐसे,

जैसे भूल गई लोक लाज की वाणी।


मोहन ने सीख लाया है,

सृष्टि प्रेम से पूजय कुछ नहीं हर किसी से प्रेम करो।


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