माँ की दया का बखान
माँ की दया का बखान
हे माँ शक्ति दो हमें वरदान,
जन-जन का हो कल्याण।
आ गया नवरात्र माँ की भक्ति का त्योहार,
सज रहा है माँ भवानी का दरबार।
रक्त वसना आभरण युत खुले कुंचित केश,
सिंह पर शोभित सुकोमल शक्ति का आगार।
माँ को ब्रह्मा ने बनाया और विष्णु ने सजाया,
शिव ने उन्हें अपने रंग में रंग डाला।
कात्यायन पुजयों पुत्री बनायो,
तब माँ कात्यायनी कहायो।
माँ शिव पावे घोर तपस्या किन्हीं,
तब माँ ब्रह्मचारिणी कहायो।
तप करें रंग हो काला,
माँ किन्हीं गंगा स्नान नाम भयो महागौरी।
सिद्धिदात्री रूप माँ धारण किन्हें,
तब शिव अर्धनारीश्वर कहाओ।
हे माँ शक्ति दो हमे वरदान,
जन-जन का हो कल्याण।
माँ के रूप नवदुर्गा, स्त्रियां धार रही लाल रंग,
लगा रही माथे सिन्दूर, कर रही सात शृंगार।
नवोंदिन नवरंग धारती, माँ कि करती उपासना,
माँ शेरोंवाली तेरी भक्ति और महिमा है निराली,
जिसने भक्तों को उबारा है,
जिसने दुष्टों को संघारा है।
जो इस जग में सबसे प्यारी है,
अब माँ अम्बे का ही सहारा है।
दुर्गा मेरी आत्मा ब्रह्म है मेरे प्राण,
धूमिल मानव देह का नहीं कोई अभिमान।
हे माँ शक्ति दो हमें वरदान,
जन-जन का हो कल्याण।
माँ शेरोंवाली तेरी भक्ति का वरदान दे,
माँ अपने दर्शन का अवसर हमें बार-बार दे।
ठनकता तबला सारंगी और बजता ढोल,
कर रहे हैं भजन के स्वर भक्ति का संचार।
हृदय हर्षित मन गर्वित,
नई ऊर्जा का संचार हुआ।
सूर्य कि तरह तेज हो हमारा,
चंद्र कि तरह शीतल हो हम।
जिसने भक्तों को उबारा है,
जिसने दुष्टों को संघारा है।
जो इस जग में सबसे प्यारी है,
अब माँ अम्बे का ही सहारा है।
हे माँ शक्ति दो हमें वरदान,
जन-जन का हो कल्याण।
हम चाहते वो दे जाती,
ममता हैं अपार शेरोंवाली माँ।
हृदय हर्षित मन गर्वित,
नई ऊर्जा का संचार हुआ।
हे माँ शक्ति दो हमें वरदान,
जन-जन का हो कल्याण।
माँ चंद्रघंटा रूप लिए तब महिषासुर संघारी,
कुष्मांडा रूप ब्रह्मांड बनायों।
नवों दिन नव रूप पूजाति,
माँ का दरबार सजा मिली सुख शांति।
हे माँ शक्ति दो हमें वरदान,
जन-जन का हो कल्याण।
माँ अपने भक्तों पर कृपा बरसती,
मोहन रूप मोहिनी सुरत शैलपुत्री कहलाती।
भव्य रूप माँ कालरात्रि,
ममता मई माँ स्कंदमाता।
सब भक्तों की आश पूराती,
नवदुर्गा माँ आदिशक्ति।
हे माँ शक्ति दो हमें वरदान,
जन-जन का हो कल्याण।
