वही होगी !!
वही होगी !!
अधूरी
आधी अधूरी
वही थी
वही होगी
उसका होना जब जरूरी नहीं था
फिर
उसका न होना चुभता क्यों है
बिछड़ना था बिछड़ गयी
वो भी और मैं भी
भूलना था, भूल गए
आखिर फिर मिल क्यों गए
मिटने लगी थी
जब यादों की भी याद
वह साबुत सामने खड़ी हो गयी
किसी और की बीबी बनकर
ख्यालों में ही सही
मैंने किसी और को
उसे पलकों से भी छूने नहीं दिया
एक कुल दीपक के लिए
छः बेटियों की माँ बन गयी
क्यों बनी, किसने समझाया
किसने मजबूर किया होगा
वो तो ऐसी न थी
आधुनिक सोच, स्वतंत्र विचार
सुशिक्षित, कुशल व्यवहार
मुझे ठुकराना उसकी पसंद थी
मुझे बुरा भी नहीं लगा था
जिसे अपनाया वह भी भूल है
बहुत सारे क्यों और कैसे में लिपटा
हो जैसे चंदन संग भुजंग लिपटा
बरसों बाद मुलाकात हुई
कुछ भी नहीं बात हुई
आँखों से शब्दहीन संवाद हुआ
उसने सब कुछ कह दिया
मैंने सब कुछ समझ लिया
जब बढ़ गया
असह्य हो गया
खामोशियों का शोर
उसके आँख ने कहा
मेरे कान ने देखा
दिमाग ने महसूसा
शायद इसीलिए
छोटी हो या बड़ी हो
हमेशा रोटी गोल ही बनती है
हमेशा लड़की नारी ही बनती है !!
एक भूख मिटाने के लिए
एक जिम्मेदारी निभाने के लिए !!!