पीर
पीर
1
संस्कार
मिलता नहीं
किसी बाजार में
कब समझेगा
समाज ।
2
जवान
बेटी बहू
भेंट चढ़ती सर्वत्र
अमर्यादित संकीर्ण
बलिवेदी।
3
अविलम्ब
बंद हो
अवांछित अहंकारी असभ्य
रूढ़िवादी मानसिकता
सहयोग ।
4
बदलना
होगा पैमाना
दर्द मापने का
होगा फिर
बदलाव ।
5
खाँचा
बनाना छोड़ो
मेरा तेरा उसका
अनुभूत श्रुत
पीर ।।