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Ramashankar Roy 'शंकर केहरी'

Abstract

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Ramashankar Roy 'शंकर केहरी'

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बोधमुक्त पहचान

बोधमुक्त पहचान

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बाते बतुली

बाते व्यवहार

कभी कराता सुलह 

कभी कराता तकरार

विचार से 

बदलता व्यवहार

व्यवहार से  

बदलता स्वभाव

कभी 

प्रभाव से बदलता स्वभाव

कभी

स्वभाव से बदलता प्रभाव

अभाव हो या प्रभाव

नमक सा 

हो स्वभाव

ना कोई 

ज्यादा अपेक्षा करे

ना कोई 

ज्यादा उपेक्षा करे

जरुरत 

सबकी बनना

जायदाद 

किसी का नहीं

विचार  होता मन के अधीन

तन-मन 

होता अन्न के अधीन

तन का डोलना 

और मन का स्थीर होना

सार्थक परिणाम हमेशा देता

नमक स्वभावी 

स्वस्थ तन शांत मन

बनाता अपेक्षित 

बोधमुक्त पहचान !!!!




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