ये कहानी यहीं ठहरी हो
ये कहानी यहीं ठहरी हो
गर्मी की शाम हो जब
या रात ज़रा जब गहरी हो
जब भीनी खुशबू लिए
चंचल पवन सी बह रही हो
भीषण जाड़े का मौसम हो
हल्की सी दोपहरी हो
हफ्तों बाद के आए सूरज
की किरण सुनहरी हो
जब पहली बरसात की
मध्यम बारिश हो
तुझे किसी बहाने
मिलने की कोशिश हो
मौसम बीते कितने भी
रातें कितने भी गुज़री हो
तू साथ मेरे हरदम हो
ये कहानी यहीं ठहरी हो!