खुद में
खुद में
वो खुद में मगरूर रहता है
अपनी दुनिया में मशहूर रहता है
ना वास्ता किसी से, ना वास्ते किसी के
न जाने उसे कौन सा गुरुर रहता है
उसे फर्क नहीं पड़ता
वो कहता है
"मंज़िल की खबर नहीं मुझे
मेरा हमसफ़र ये सफ़र, ये रस्ता है!"
