खुद में
खुद में
वो खुद में मगरूर रहता है
अपनी दुनिया में मशहूर रहता है
ना वास्ता किसी से, ना वास्ते किसी के
न जाने उसे कौन सा गुरुर रहता है
उसे फर्क नहीं पड़ता
वो कहता है
"मंज़िल की खबर नहीं मुझे
मेरा हमसफ़र ये सफ़र, ये रस्ता है!"
वो खुद में मगरूर रहता है
अपनी दुनिया में मशहूर रहता है
ना वास्ता किसी से, ना वास्ते किसी के
न जाने उसे कौन सा गुरुर रहता है
उसे फर्क नहीं पड़ता
वो कहता है
"मंज़िल की खबर नहीं मुझे
मेरा हमसफ़र ये सफ़र, ये रस्ता है!"