रूप की चाहत सबको
रूप की चाहत सबको
रूप की चाहत सबको
रूह एक कोने में
पड़ी रहती है।
ढूढ़ते ना खूबसूरती दिल की
नज़र जिस्म पर
गड़ी रहती है।
देखो मुझे, मुझ पर भी
गौर करो, चिल्लाती
सीरत कहती है।
बेपरवाह ये दुनियाँ
फिर भी सूरत से
जुड़ी रहती है।
रूप की चाहत सबको
रूह एक कोने में
पड़ी रहती है।
ढूढ़ते ना खूबसूरती दिल की
नज़र जिस्म पर
गड़ी रहती है।
देखो मुझे, मुझ पर भी
गौर करो, चिल्लाती
सीरत कहती है।
बेपरवाह ये दुनियाँ
फिर भी सूरत से
जुड़ी रहती है।