Jagrati Verma
Abstract
सब जाहिर कर देने के बाद भी
लगे मेरी हर बात अनकही
चलो मान लिया मैं गलत हर बार
हर बार तुम सही
ये जज्बात भी चुप हो ही जाएंगे
अल्फाजों की तरह
एक दिन, जब महबूब को
इनकी कदर ही नहीं!
तू याद बहुत आ...
ये कहानी यहीं...
रूप की चाहत स...
ऐतबार
खुद में
खानाबदोशों सा
हल
तह
एक दिन
ये हुनर हममें...
आज जहां हम अपने घरों में बैठकर हर दूसरी चीज़ को, हर दूसरे गुज़रते पल को कोस रहे हैं वही आज जहां हम अपने घरों में बैठकर हर दूसरी चीज़ को, हर दूसरे गुज़रते पल को कोस रहे ...
दिल की बात मुँह पर लाओ पापा को देख कर मुस्कुराओ। दिल की बात मुँह पर लाओ पापा को देख कर मुस्कुराओ।
पर्यावरण को ध्यान में रख सफाई की चर्चा। पर्यावरण को ध्यान में रख सफाई की चर्चा।
देश प्रधान का मान लो कहना, छू ना पायेगा फ़िर कोई कोरोना। देश प्रधान का मान लो कहना, छू ना पायेगा फ़िर कोई कोरोना।
आँख मूंदे चल पड़ा जो तू किसी के बात पर आँखें तेरी तब खुलेंगी जो पहुँचेगा तू घाट पर। आँख मूंदे चल पड़ा जो तू किसी के बात पर आँखें तेरी तब खुलेंगी जो पहुँचेगा तू घा...
कवि 'सिंधवाल' है एक चिंतन का एक लिखा अनुभव जीवन का। कवि 'सिंधवाल' है एक चिंतन का एक लिखा अनुभव जीवन का।
इनके लिए कोई और नहीं, तू ही जीता है, तू ही मरता है इनके लिए कोई और नहीं, तू ही जीता है, तू ही मरता है
उठ ही गए हैं जो अगर अब हम तो आओ सबको जगाते चलते हैं। उठ ही गए हैं जो अगर अब हम तो आओ सबको जगाते चलते हैं।
फिर भी लिखना ही हैं जो चाहिए, तो दिल, "तेरा नाम" सरेआम करता, भी नहीं। फिर भी लिखना ही हैं जो चाहिए, तो दिल, "तेरा नाम" सरेआम करता, भी नहीं।
शब्द जीवन को उलट पलट भी कर सका है शब्द सारी उलझनों को सुलझा भी सकता है। शब्द जीवन को उलट पलट भी कर सका है शब्द सारी उलझनों को सुलझा भी सकता है।
हम जुड़ते हैं लोगों से तो आभार प्रकट करते हैं। हम जुड़ते हैं लोगों से तो आभार प्रकट करते हैं।
फिऱ देख वो तुझे देखकर शर्मिंदा होता कि नहींं है। फिऱ देख वो तुझे देखकर शर्मिंदा होता कि नहींं है।
बस इतनी विनती है "नीरज" की प्रभु का सकल पसारा है। बस इतनी विनती है "नीरज" की प्रभु का सकल पसारा है।
इंसानियत होती रही शर्मसार, मानवता को अभी और है गिरना। इंसानियत होती रही शर्मसार, मानवता को अभी और है गिरना।
पर कोरोना को देख कर लगता जिंदगी जैसे भाग रही है। पर कोरोना को देख कर लगता जिंदगी जैसे भाग रही है।
कोरोना को हराना है तो फिर चाहे लॉक डाउन हो या कर्फ्यू हंस हंस कर पालन कराना है। कोरोना को हराना है तो फिर चाहे लॉक डाउन हो या कर्फ्यू हंस हंस कर पालन कराना ...
पक्षियों की चहचहाट को ढूंढ रहा था खिले फूलों को नहीं देख पा रहा था ये क्या हो रहा था? पक्षियों की चहचहाट को ढूंढ रहा था खिले फूलों को नहीं देख पा रहा था ये क्या...
कर्फ्यू सा माहौल है आसपास लगता है फिर से तुम आज हंसे। कर्फ्यू सा माहौल है आसपास लगता है फिर से तुम आज हंसे।
पर्यावरण को ना मानव करो खराब इस सबका भगवान को देना हो पर्यावरण को ना मानव करो खराब इस सबका भगवान क...
दिनकर की किरणें भर रहीं, प्रकृति-रंग न्यारा। दिनकर की किरणें भर रहीं, प्रकृति-रंग न्यारा।