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Ram Chandar Azad

Romance

4  

Ram Chandar Azad

Romance

तेरी वज़ह से

तेरी वज़ह से

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अपने घरों में दुबके हैं सब तेरी वज़ह से

मुँह को छिपा रहे हैं सभी तेरी वज़ह से।


किस्से तेरी शैतानियों के सबके ज़ुबाँ पर

चेहरे पे सबके खौफ़ है बस तेरी वज़ह से।


दूरी भी दो दिलों में इस कदर से बढ़ गई

ओ ! प्यार को तरस गए हैं तेरी वज़ह से।


उपवन में खिले फूल पर भँवरे है नदारद

ओ सहमे सहमे दिख रहे हैं तेरी वज़ह से।


मोहताज़ हो रहे हैं लोग  दाने दाने को

मुँह का निवाला छिन रहा है तेरी वज़ह से।


दिन में भी रात जैसे ही सन्नाटे का असर

'आज़ाद' जो कुछ हो रहा है तेरी वज़ह से।


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