कहना भी खुद की सुनना भी खुद की लेकिन हर पल रहता है वो मुझी से मुखातिब कहना भी खुद की सुनना भी खुद की लेकिन हर पल रहता है वो मुझी से मुखा...
और क्या कहे आज भी लिखी है दिल पे नाम तुम्हारी। और क्या कहे आज भी लिखी है दिल पे नाम तुम्हारी।
तुच्छ काँटों को जिंदगी की सहर पलको से निकालती रही। तुच्छ काँटों को जिंदगी की सहर पलको से निकालती रही।
कृष्णा के शब्दों पंख से अर्जुन का मोह हुआ नदारद। कृष्णा के शब्दों पंख से अर्जुन का मोह हुआ नदारद।
कुछ खफ़ा सी हैं कुछ नाराज सी हैं हर चेहरे से नदारद सी हैं वो खिलखिलाती हंसी कुछ खफ़ा सी हैं कुछ नाराज सी हैं हर चेहरे से नदारद सी हैं वो खिलखिलाती ...