आमदनी
आमदनी


कवित्त-1
जीवन सुधारती है मान अभिमान देती,
आमदनी आदमी को, सक्षम बनाती है।
बंद दरवाजे खोले, मन में उछाह घोले,
प्रगति के राह पे वो, चलना सिखाती है।
कहत 'आज़ाद' जाकी, ठीक-ठाक आमदनी,
लोगों बीच एक पहचान छोड़ जाती है।
मन की मुराद आप, जैसे चाहें पूरी करें,
आमदनी नए नए, जलवे दिखाती है।।
कवित्त-2
चित में हुलास भरे, तन मन जोश भरे,
आमदनी दोस्त बन, फरज निभाती है।
आमदनी है तो सब, काम-धाम सही चले,
नहीं तो ये आमदनी सबको रुलाती है।
कहत 'आज़ाद' ये निभाती साथ आदमी की,
मुश्किल काम पल में ही सुलटाती है।
धीरज बँधाती है ये, साहस बढ़ाती है ये,
हर हाल आमदनी सक्षम बनाती है।।