खुद ही पहरेदार
खुद ही पहरेदार
स्वास्थ्य से बड़ा न कोई धन,हों सुखी तभी जब स्वस्थ तन मन
खड़ी सामने लहर दूसरी,है अमूल्य समझें यह जीवन ।
कोरोना की वापसी, और तेज रफ़्तार
घूम घाम कर आ गया, फिरसे अपने द्वार ।
लड़ना है वायरस से, हो जाओ तैयार
ना दिन ही-ना रात ही, ना छुट्टी इतवार ।
कोविड खुद के बीच में, खड़ी करें दीवार
झेल रहे यह आपदा, सबके ही परिवार ।
रहा नहीं अब अजनबी, कर लो सच स्वीकार
खुद ही खुद बन जाइये, खुद के पहरेदार ।
भीड़ भाड़ से सब बचो, मत जाओ बाज़ार
भाप, मास्क औ फ़ासला , ख़ास बात ये चार ।
लक्षण कोई भी दीखे, खाँसी-छींक-बुख़ार
दिखलाकर डाक्टर को, कर दें शुरु उपचार ।
जंग दिलेरी से लड़ो, मत डालो हथियार
मज़बूती से सामना, रहना है हुशियार ।
