इशारा
इशारा
जिंदगी हर मोड़ पर करती हे इशारा,
जिधर इशारा करती, मुड़ जाते उधर
तेरे आगे मर्जी, चलती है किधर।
ऐ ज़िन्दगी ! अब तू मेरा अनुकरण कर,
जहाँ मैं कहती, उधर रुख़ कर ।
नई राह इशारों में, रह रह कर मुझे महकाती,
कई रास्ते हैं बेकरार बुलाने को,
कई मंज़िलें अभी बाकी हैं,
कई सपने है आँखों में ,
की ज़िन्दगी अभी बाकी हे।
