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Antariksha Saha

Inspirational

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Antariksha Saha

Inspirational

मालिक

मालिक

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रोज़ यह अँधेरे छठ जाते हैं

फिर सुबह आती है

गम के बाद खुशियाँ आती हैं

जगने के बाद नींद आती हैं

तकलीफओं से थक जाते हैं हम

और मालिक पे सवाल करने लगते हैं

भूल जाते हैं

अंधेरा तू बनाता है ताकि सुबह हसीन हो

गम मे तू डालता है ताकि

खुशियों से हम सराबोर हो

सुबह के अथक परिश्रम के बाद हम

नींद से खुद को तरोताज़ा कर सके

तकलीफों से हार कर हम जीना नहीं छोड़ते हैं

साहिल ना मिलने पर हम कोशिश नहीं छोड़ते

आज लक्ष्य धूमिल है तो क्या हुआ

कल हमारा है

सत्ता के मज़े मे तुम सराबोर हो आज

भूलना नहीं की शुरुआत में तुम कहाँ थे

मालिक के दया पे तुम हो तुमपे मालिक नहीं

हमशा याद रख़ना की ऊँचाई है तो खाई है।


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