मालिक के दया पे तुम हो तुमपे मालिक नहीं हमशा याद रख़ना की उचाई है तो खाई है। मालिक के दया पे तुम हो तुमपे मालिक नहीं हमशा याद रख़ना की उचाई है तो खाई है।