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मुमकिन नहीं

मुमकिन नहीं

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कर लिया संकल्प जब तो कुछ भी न मुमकिन नहीं

कर गुजरने की ये चाहत राह की अड़चन नहीं


खुद को बदलो और बदलो इस ज़माने को भी तुम

रखते हो गर सच्ची चाहत ये भी न मुमकिन नहीं


हर तरफ दीपक जला दो राह में उम्मीदों के

फिर रहे ठहरा अंधेरा ये भी तो मुमकिन नहीं


अभ्यास कर तुम सीख लो ज़िन्दगी के दांव को

कोई फिर तुमको हरा दे ये भी तो मुमकिन नहीं


देश की खातिर लड़ोगे कर लिया संकल्प जब

दुश्मनों से हार जाओ ये भी तो मुमकिन नहीं


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