सिगरेट
सिगरेट
आज फिर बादल फटा है
पानी बरसा है
चमरू फिर लाएगा बाटली
दमरू जलाएगा सिगरेट
बनेगा माछ भात
देर रात तक जलेगा अलाव
फिर चलेंगी सर्द हवाएं
इनके जिस्म की तपिश को बनाए रखने के लिए
फिर मुन्नी को सुलगना होगा
सिगरेट की तरह
सारी रात राख होने तक।
