मां का प्यार
मां का प्यार
कभी डांटती, कभी मारती कभी गले से लगाती है
सचमुच मां मुझे खूब भाती है उसके होठों की हंसी
उसकी आंखों की खुशी
हमारे गम सारे ले जाती है मुझे मां बहुत भाती है
हम गर डरे गए हो
या फिर थक गए हो
फौरन गोद में सुलाती है
मां मुझे खूब भाती है
रात रात भर जागती है
दिनभर पीछे भागती है
रात-दिन हमें लोरियां सुनाती है
मां मुझे खूब भाती है
जिंदगी की तपिश में
गर्दिशों की धूप में
अपने आंचल में छुपाती है
मां मुझे खूब भाती है
घर की ज़ीनत है
खुशबू की इत्र दानी है
सारे घर में मां की खुशबू आती है
सचमुच मां मुझे खूब भाती है।