अमीर गरीब
अमीर गरीब
एक दिन अमीरी ने गरीबी से कहा
मैं वो हूं जो पूरी दुनिया को भाती हूं
एक पल में सबकी नजरों में चढ जाती हूं
सब का ख्वाब है मुझको पाना
मुझसे ही है ये सारा जमाना
मैं जिसके पास होती हूं उसके सिर पर
दुनिया का ताज होता है
उसके हर फैसले पर सबको नाज होता है
मेरे ठाट बाट के आगे सब के मुंह पर होते हैं ताले
मेरी ही वजह से तो चलते हैं कितने धंधे काले
सब कहते हैं मैं तो गुणों की खान हूं
सिर का ताज और सम्मान हूं
मैं पैसा हूं सबकी जान हूं
सुन कर के सारी बात गरीबी ने किए दो दो हाथ
मुस्कुराई फिर बोली
माना कि मैं गरीब हूं खाली है मेरी झोली
पर अपनी पर आ जाऊं तो ना लगा पाए कोई मेरी बोली
खुद्दार हूं अपनी अना में जीती हूं
तेरी तरह बेकसूरओं का खून नहीं पीती हूं
दुख दरिद्रता के अलावा इंसानियत मेरे पास है
गरीब हूं पर लोगों को फिर भी मुझसे आस है
हमारे ही दम पे ये महल और अटारी है
हम से ही ये दुनिया सारी है
दोनों की बहस में सुन रही थी
अपने सर को धुन रही थी
सोच रही थी ना कोई कम है ना ज्यादा
वही सफल है जिसका इंसानियत से है नाता।