चलन। चलन।
पैसा...। पैसा...।
रुपया-रुपया देखो, कैसा रंग दिखलाता है... रुपया-रुपया देखो, कैसा रंग दिखलाता है...
इंसान हूँ पर धन रहित होने से, एक धुंधली सी पहचान हूँ। इंसान हूँ पर धन रहित होने से, एक धुंधली सी पहचान हूँ।
याद रखना वापस यही आना है तुम्हे! याद रखना वापस यही आना है तुम्हे!
लोकतंत्र का बना अचार फैल गया है भ्रष्टाचार! लोकतंत्र का बना अचार फैल गया है भ्रष्टाचार!