लालच मानुष और मनुष्यता का सबसे बड़ा शत्रु है लालच मानुष और मनुष्यता का सबसे बड़ा शत्रु है
पैसा...। पैसा...।
झूठ फरेब फल फूल रहा है इन्सानो को निगल रहा है । झूठ फरेब फल फूल रहा है इन्सानो को निगल रहा है ।
मैं लोभ हूँ... मैं लोभ हूँ...
ये कुछ दौलत है ये कुछ ताक़त है इसे अपने में जोड़ते हैं आओ न सियासत सियासत खेलते हैं। ये कुछ दौलत है ये कुछ ताक़त है इसे अपने में जोड़ते हैं आओ न सियासत सियासत खेलते...
ना घर, ना घरवाले बस कागज़ के नोटों से रौशन हूँ मैं...! ना घर, ना घरवाले बस कागज़ के नोटों से रौशन हूँ मैं...!