ज़माने ने कुछ ऐसी करवटें बदली हैं घर की लक्ष्मी थी जो वो कमाने निकल पड़ी है ज़माने ने कुछ ऐसी करवटें बदली हैं घर की लक्ष्मी थी जो वो कमाने निकल पड़ी...
मेरे हाथों में तुम्हारा हाथ मेरी सांसों में मिलती। मेरे हाथों में तुम्हारा हाथ मेरी सांसों में मिलती।
खुदा के दरबार में कोई बात तो खारी रक्खा करो। खुदा के दरबार में कोई बात तो खारी रक्खा करो।
भूल के रंजिश जीत की ख़ुशी में भिगोने। भूल के रंजिश जीत की ख़ुशी में भिगोने।
ऐसा नहीं कि अब रहता मायूस नहीं तबियत मगर पहले से शाद रहती है ऐसा नहीं कि अब रहता मायूस नहीं तबियत मगर पहले से शाद रहती है
जिसे कहते हुए घबराता था, पूरा हुआ उसका इजहारें इश्क़। जिसे कहते हुए घबराता था, पूरा हुआ उसका इजहारें इश्क़।