जो राह में ग़लतियाँ और भूल हुई ये नज़र अंदाज़ ना करेंगे । जो राह में ग़लतियाँ और भूल हुई ये नज़र अंदाज़ ना करेंगे ।
मायूसी के उस माहौल में पूछ कर देखना कभी उस माँ से मायूस होकर चल रही होंगी उसकी सांसें मायूसी के उस माहौल में पूछ कर देखना कभी उस माँ से मायूस होकर चल रही होंगी...
रखा था दिल में आपने, शायद हमें मदहोशी में, रखा था दिल में आपने, शायद हमें मदहोशी में,
ईश्वर हमारी तरह निठल्ला तो नहीं फिर उसके अंश का मायूस होना अच्छा तो नहीं। ईश्वर हमारी तरह निठल्ला तो नहीं फिर उसके अंश का मायूस होना अच्छा तो नहीं।
और मेरी इस कविता को तुम पढ़ना चाहोगे बार बार। और मेरी इस कविता को तुम पढ़ना चाहोगे बार बार।
ये ऋतु भी बदलेगी, ये वक्त भी बदलेगा। ये ऋतु भी बदलेगी, ये वक्त भी बदलेगा।