मुलाक़ात
मुलाक़ात
बहुत दिन बाद आज मेरी
ख़ुद से मुलाक़ात हुई !
भागती रही जिन सवालों के जवाब से,
उन से बातें दो चार हुई !
सिमट कर उन केआगोश में,
आज धड़कनों की धड़कनों से बात हुई !
कहनी थी उनसे न जाने कितनी अनकही बातें,
लबों की लबों से बात हुई !
झुक जाती है नज़र उन को देख कर,
झुकी झुकी नज़रों की नज़रों से बात हुई !
ले कर हाथ हाथों में इंक दुजे का
दिल में उमड़ते जज़्बात की जज़्बातों से बात हुई !
रूक गई ये ज़मीं,थम गया आसमाँ !
दो प्यासी रूहों की ये कैसी मुलाक़ात हुई !
इक तरफ़ सजदे में इश्क़ झुका
और ख़ुदा भी सजदा करने लगा
इश्क़ की इबादत और ख़ुदा दोनों की
मोहब्बत से मुलाक़ात हुई !